
@टिल्लू शर्मा◾टूटी कलम डॉट कॉम#…रायगढ़…. 5दिवसीय त्योहार आये है,मिठाइयों की बहार लाये है।मगर ये मिठाईयां स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी हो सकती है। मिठाइयों के निर्माण में स्तरहीन एवं सस्ते समान मैदा,बेसन,गुड़,शक्कर,तेल,घी,दूध,आदि का उपयोग किया जाता है। इनको बनता देखकर कोई भी मीठा प्रेमी मिठाई खाने से कतरा सकता है। मैले कुचैले लिबास पहने,नंगे बदन पसीने से सराबोर,बीड़ी,सिगरेट पीते,तम्बाकू, पाउच खाते जब कारीगर पसीने का तड़का कड़ाही में छींटता है तब कड़ाही भी तिलमिला उठती है। बनने वाले स्थान पर बदबूदार सड़ा पानी,काई लगे फर्श मिठाइयों के निर्माण में अनदेखी के कारण मनमाने दाम पर 3 दिनों तक बेची जाती है। तैयार होती मिठाइयों पर रेंगती चींटियों की कतार,मटकते मकौड़े, भिनभिनाते मच्छर,मख्खी,सरपट दौड़ लगाते चूहें खुले नेत्रों से देखे जा सकते है। 3 दिन के मिठाइयों की बिक्री से सब काट पीटकर इतनी कमाई कर ली जाती है कि मिष्ठान भंडार वाले 1 नई प्रॉपर्टी खरीद लेते है और दूषित,प्रदूषित मिठाइयों का सेवन करने वाला घबराहट,बेचैनी,रक्तचाप,उल्टी आदि का शिकार बनकर डॉक्टरों के यहां चक्कर काटने लग जाता है।टूटी कलम

नकली खोवा (मावा) की अहम भूमिका….मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालने में मावा की भूमिका अहम होती है। केमिकल्स से निर्मित मावे से बनी मिठाई का सेवन करने पर इंसान की तबियत अवश्य ही बिगड़ती है। खोवे की तरह दिखने वाला,स्वाद वाला पदार्थ दरसअल में मावा होता है जो केमिकल से बनता है एवं खोवे की अपेक्षा काफी सस्ता भी होता है। यह खोवा रूपी मावा की आवक,डभरा, सक्ति, बिलासपुर, सारंगढ़, बेलपहाड़, ब्रजराज नगर,झारसुगुड़ा, राउरकेला, सुंदरगढ़ आदि की तरफ से देर रात छोटा हांथी,पिकअप,ट्रेनों,बसों के जरिये होती है। जिन्हें मिठाई कारखाना के गोदामो तक पहुंचा दी जाती है। जिसकी जानकारी मुखबिर तंत्रों के माध्यम से खाद्य सुरक्षा, क्वालिटी कंट्रोल,ओषधि विभाग,पुलिस विभाग, नगर पालिका निगम आदि सभी के पास होती है परन्तु ये भी त्योहार अच्छे से मनाना चाहते है। इसलिए कि पैसा बोलता है के कारण कोई कार्रवाई नही होती। टूटी कलम
बासी मिठाईयां ताजा कहकर बेच दी जाती है…प्रायः यह देख जाता है कि दीपावली से लगभग 15 दिन पहले से ही मिठाई बनाने का कार्य शुरू कर भंडारण किया जाता है। जिसे धनतेरस के दिन से विक्रय किया जाता है तो सबसे यक्ष प्रश्न यह है कि 10-15 दिन पहले बनाई गई मिठाइयों को ताजा बनी बोलकर कैसे सरेआम बेच दिया जाता है। बासी मिठाइयों का भोग लगाने पर भला लक्ष्मी, गणेश, विष्णु,कुबेर,आदि देवी देवता काहे खुश होंगे। बासी मिठाई आपस मे बांटने पर स्वास्थ्य बिगड़ने की टेंशन अलग है। टूटी कलम

खाद्य एवं औषधि विभाग,नगर निगम अमला ले संज्ञान…चूंकि अब जगह जगह मिठाईयां बनने लगी है एवँ 3 दिन ही धनतेरस के 4 दिन दीपावली के शेष रह गए है। इसलिए उक्त विभागों के द्वारा लगातार,बारंबार मिठाई दुकानो,कारखानों का निरीक्षण करते रहना चाहिए। जेबें गर्म हो जाने पर भी बैठे नही रहना चाहिए। टूटी कलम विशेष….बगैर दास्ताने,मास्क पहने लोगो से मिठाई लेने से परहेज करें।