टूटी कलम रायगढ़ जिले का बहुचर्चित, विश्वसनीय, पाठको की पहली पसंद नंबर वन के पायदान पर न्यूज वेब पोर्टल “टूटी कलम” अपनी लोकप्रियता की वजह से छत्तीसगढ़ स्तर पर जाना पहचाना जाने लगा है. संपादक निडर,निष्पक्ष,निर्भीक, बेबाक,बेखौफ, असलियत से नाता रखने वाला, लेखक, चिंतक, विचारक, विश्लेषक, व्यंग्यकार,स्तंभकार,कलमकार, माता सरस्वती का उपासक, लेखनी का धनी, कलम का मास्टरमाइंड चंद्रकांत (टिल्लू) शर्मा रायगढ़ छत्तीसगढ़ 83192 93002…. जिला ब्यूरो चीफ राष्ट्रीय अखबार दैनिक जन जागरण संदेश.
🏹टिल्लू शर्मा ✒️टूटी कलम 🎤न्यूज रायगढ़ छत्तीसगढ़….. पूरे देश में 5 वर्षों में एक बार जनतंत्र का त्यौहार लोकसभा चुनाव के रूप में मनाया जाता है. 5 साल में यह त्यौहार एक बार आता है जिसमें देश के राष्ट्रपति प्रधानमंत्री से लेकर सबसे निचले स्तर के व्यक्ति अंधा अपाहिज कोड़ी सभी को एक समान अधिकार होता है और वह होता है अपने मताधिकार का उपयोग करने का जिसके माध्यम से देश की सरकार बनती है और जन कल्याणकारी योजनाओं को घर-घर तक पहुंचाने का प्रयास करती है. मगर सबसे बड़ी विडंबना यह है कि देश के नागरिक अपना महत्व नहीं समझते हैं इसलिए वोट डालने नहीं जाते हैं. देश के लगभग 40% लोगों को लोकसभा चुनाव में कोई दिलचस्पी नहीं होती है. जिसका सबसे बड़ा कारण यह है कि मतदाताओं की पूर्ति नहीं हो पाती है. विधानसभा चुनाव के समय बांटे जाने वाले शराब,बकरा –भात,रुपए, कपड़े,खेल सामग्री,बर्तन आदि का सर्वथा अभाव रहता है. लोकसभा चुनाव में इन चीजों पर केवल रसूखदार लोगों का अधिकार हो जाता है. जो अपने-अपने क्षेत्र में आम जनता को बांटने के नाम से प्रत्याशियों से लेकर अपने घर भर लिया करते हैं. पहले दिल्ली से राजनीति कार्यालय से प्रचार प्रसार की सामग्री आई थी. मगर अब प्रत्याशी स्वयं सामग्री खरीदने के लायक सक्षम हो चुके हैं. टिकट मिलने के बाद दोनों ही दलों के प्रत्याशियों को उद्योगपतियों,अवैध कारोबारियों की तरफ से नजराना भेज दिया जाता है. जिससे उनके चुनाव संचालन का लगभग खर्च निकल जाया करता है.
लोकसभा चुनाव के समय गरीब एवं आम जनता की कोई पूछपरख नहीं होती है. इसलिए वे भी शांत बैठ जाया करते हैं और वोट डालने नहीं जाते हैं. जिस वजह से मतदान का प्रतिशत आधा हो जाता है. सरकार के द्वारा मतदाता जागरूकता कार्यक्रम चलाया जाता है और उसमें हजारों करोड़ों रुपए खर्च कर दिए जाते हैं मगर इनका कोई असर मतदाताओं पर नहीं पड़ता है. यदि मतदाता जागरूकता कार्यक्रम वाले यह ऐलान कर दे की वोट डालने जाने वाले प्रत्येक व्यक्ति को भीषण गर्मी या बारिश की आशंका को देखते हुए. एक एक छाता या रेनकोट दिया जाएगा तो यकीन मानिए शासकीय कर्मचारी इनको पूरा नहीं पाएंगे. इस कार्य के लिए गली-गली में घूमने की आवश्यकता भी नहीं पड़ेगी. लोग नगर निगम कार्यालय,जिला निर्वाचन कार्यालय में छाता रेनकोट लेने सुबह से ही लाइन में लग जाएंगे. ऐसा भी होगा कि एक व्यक्ति चार पांच मतदाता कार्ड लेकर आएगा और सबके एक साथ ले जाने के लिए जिद्द करेगा. सरकार कितना भी स्लोगन लिखवाये,फ्लेक्स बोर्डिंग लगाए, पोस्ट चपकाए,पंपलेट बांटे, जागरूकता रैली निकाले, सेल्फी जोन बनाएं, रंगोली सजाये, मेहंदी लगाए. इन सब का असर मतदाताओं पर नहीं पड़ता है. असर पड़ता है तो केवल सामग्री वितरण करने से.