टूटी कलम रायगढ़ जिले का बहुचर्चित, विश्वसनीय, पाठको की पहली पसंद नंबर वन के पायदान पर न्यूज वेब पोर्टल “टूटी कलम” अपनी लोकप्रियता की वजह से छत्तीसगढ़ स्तर पर जाना पहचाना जाने लगा है. संपादक निडर,निष्पक्ष,निर्भीक, बेबाक,बेखौफ, असलियत से नाता रखने वाला, लेखक, चिंतक, विचारक, विश्लेषक, व्यंग्यकार,स्तंभकार,कलमकार, माता सरस्वती का उपासक, लेखनी का धनी, कलम का मास्टरमाइंड चंद्रकांत (टिल्लू) शर्मा रायगढ़ छत्तीसगढ़ 83192 93002…. जिला ब्यूरो चीफ राष्ट्रीय अखबार दैनिक जन जागरण संदेश
🏹टिल्लू शर्मा ✒️टूटी कलम 🎤न्यूज रायगढ़ छत्तीसगढ़…..सीएम विष्णु देव साय की चुनावी सभा में भीड़ ना जुटने और कुर्सियां खाली देख विधायक भैयालाल राजवाड़े भड़क गए. यह घटना शनिवार की है. इस दौरान उन्होंने मंच से ही कह दिया कि ये सीएम की सभा नहीं बल्कि बेइज्जती करने वाली सभा है. साथ ही उन्होंने कहा कि आखिर क्यों लोग सभा में नहीं आए. वहीं, सीएम की सभा में कम भीड़ होने पर कांग्रेस ने चुटकी ली. कांग्रेस ने सभा को पूरी तरह फेल बताया.
जानिए क्या है मामला
कोरबा लोकसभा चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी सरोज पांडेय की चुनावी सभा शनिवार को पटना मिनी स्टेडियम में आयोजित हुई. इस सभा में सीएम विष्णु देव साय भी शामिल हुए. इस दौरान सभा में लोगों की कम भीड़ को देख बैकुंठपुर विधायक भैयालाल राजवाड़े भड़क गए. उन्होंने मंच से कहा कि ये सभा बेइज्जती करने वाली सभा है”
क्या बोले भैयालाल राजवाड़े
सभा के दौरान बैकुंठपुर विधायक भैयालाल राजवाड़े ने कहा कि, “वैसे मजा नहीं आया आज मुझको. आज मुझको बहुत तकलीफ है. मैं उस तकलीफ को अभी नहीं, फिर कभी बतलाऊंगा. मुझे बहुत तकलीफ है. ये मुख्यमंत्री की सभा नहीं है, ये बेज्जती करने वाली सभा है. आप लोगों को सोचना चाहिए. क्या तकलीफ हो गई थी, आप लोगों को? सुबह से लेकर दो बजे रात तक भैयालाल आपके बीच में बैठता है, काम करता है.आज बुलाया कि मुख्यमंत्री का आगमन हो रहा है. सभा की शोभा बढ़ाना है. सीएम पहली बार यहां आए हैं. इधर के लोगों को कोई मतलब नहीं है.”
कांग्रेस ने कसा तंज
सीएम साय की सभा में कम भीड़ को लेकर कांग्रेस ने बीजेपी पर तंज कसा है. भरतपुर-सोनहत विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के पूर्व विधायक गुलाब कमरो ने कोरिया के पटना में भाजपा की आमसभा पर चुटकी ली. गुलाब कमरो ने कहा कि, “यही है भाजपा का असली चेहरा. विधानसभा चुनाव में भाजपा जनता को हमारे खिलाफ गुमराह करके जीत तो गई, लेकिन इसके बाद सत्ता की मलाई खाने को लेकर सत्ता और संगठन में हलचल मची हुई है. कोई भी नेता एक दूसरे को देखना नहीं चाहता. सब एक दूसरे की टांग खींचने में लगे हुए हैं. इसी का नतीजा है कि पटना में हुई सभा पूरी तरीके से फेल रही.