🏹टिल्लू शर्मा ✒️टूटी कलम 🎤न्यूज रायगढ़ छत्तीसगढ़…… covishield side effects कोरोना के समय लोगों को लगाई गई Covishield कोविड वैक्सीन को लेकर एक चौकाने वाली खबर सामने आ रही है। इसे बनाने वाली AstraZeneca ने कबूला कि उसकी COVID वैक्सीन TTS का कारण बन सकती है। ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका ने यूके हाईकोर्ट में दिए गए अपने अदालती दस्तावेजों में पहली बार माना है कि उसकी कोविड-19 वैक्सीन से TTS जैसे दुर्लभ साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। बता दें एस्ट्राजेनेका वैक्सीन को कई देशों में कोविशील्ड और वैक्सज़ेवरिया ब्रांड नामों के तहत बेचा गया था।
SII ने किया था Covishield वैक्सीन का निर्माण
covishield side effects भारत में Covishield वैक्सीन का निर्माण सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) ने किया था। मार्केट में वैक्सीन आने से पहले ही SII ने एस्ट्राजेनेका के साथ समझौता किया था। फार्मास्युटिकल कंपनी AstraZeneca को इस वैक्सीन के लिए क्लास-एक्शन मुकदमे का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के सहयोग से विकसित उसके टीके से गंभीर इंजरी और मौतों का आरोप लगाया गया है। कई परिवारों ने अदालत में शिकायत के माध्यम से आरोप लगाया कि एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के दुष्प्रभावों के विनाशकारी प्रभाव हुए हैं
Covishield बन सकती है TTS का कारण
Covishield Vaccine News : इस मुकदमे को जेमी स्कॉट नाम के शख्स ने ने दायर किया, जो अप्रैल 2021 में यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड के साथ मिलकर बनाई गई एस्ट्राजेनेका वैक्सीन लेने के बाद ब्रेन डैमेज का शिकार हुए थे। कई अन्य परिवारों ने भी अदालत में इसको लेकर शिकायत की थी कि वैक्सीन लेने के बाद उन्हें इसके साइड इफेक्ट्स का सामना करना पड़ रहा है.
क्या है TTS सिंड्रोम
Covishield Vaccine News : थ्रोम्बोसिस विद थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (TTS), जिसे थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (टीटीएस) के नाम से भी जाना जाता है एक गंभीर समस्या है। यह सिंड्रोम रक्त के थक्कों और प्लेटलेट की कम संख्या का कारण बनता है। रक्त के थक्के मस्तिष्क (स्ट्रोक), हृदय (हृदय गति रुकना) या पेट (आंतों में रक्त का थक्का) में बन सकते हैं।
कोविड वैक्सीन के बारे में जिस तरह से हार्ट अटैक ब्रेन स्ट्रोक के बारे में हल्ला मचाया जा रहा है. वह अफवाह भी हो सकती है. किसी ने सिंगल डोज किसी ने डबल डोज किसी ने बूस्टर डोज लगवा कर महामारी से बचाव किया गया है. कोविड के समय वैक्सीन लगवाने के लिए सरकार का दबाव था जान बचाने की मजबूरी थी. इसलिए लोग लाइनों में लगकर वैक्सीन लगवाया करते थे. रसूखदार लोग इसमें भी अपनी पावर,पहुंच, पैसे का इस्तेमाल कर बगैर लाइन वैक्सीन लगवाया करते थे और उच्च दर्जे के लोग अपने घर में नर्स या कंपाउंडर को बुलाकर वैक्सीन लगवाया करते थे. सिंगल डोज लगवाने के लिए मारामारी दूसरे डोज के लिए फिर मारा मारी, बूस्टर डोज के लिए फिर आपाधापी मची हुई थी. मगर अब कोविशील्ड के बारे में जो समाचार आए हैं उसको पढ़कर वैक्सीन लगवाने वालों के दिल में खौफ समा गया है.
यहां पर हम यह बतलाना चाहेंगे कि हर दवाई की असर करने एवं दुष्परिणाम की समय सीमा होती है. ऐसी कोई भी दवाई या सामग्री नहीं है जो उपयोग करने के दो-तीन साल के बाद अपना असर दिखाएं. इसलिए आम जन को बेफिक्र रहो कर रहना चाहिए. कोविड वैक्सीन का सबसे ज्यादा दुष्परिणाम यह हुआ है कि लोगों में नपुंसकता आ गई है. लोगों में कामेकच्छा, उत्तेजना तो जागृत होती है परंतु नपुंसकता आड़े आ जाती है. इस विषय में सैकड़ो लोगों ने यही राय दी की वैक्सीन लगने के बाद ऐसा बुरा असर बहुत तेरा लोगों में हुआ है.