लटके,झटके,मिठ्ठी बोली वाले लोगो के द्वारा टेबल पार्टनर बनकर आसानी से लगाया जा सकता है बैंकों को चुना
रायगढ़—— कथित ठग सुंदरी के ठगी के कारनामो का खुलासा परत दर परत होने लगा है। लोग अपनी गिरती साख एवं नौकरी बचाने पुलिस की शरण मे जाने लगे है। अगर ठग सुंदरी के मोहपाश से ठगाए गये लोग शर्म,इज्जत त्यागकर अगर पुलिस का सहारा ले ले तो कई करोड़ की ठगी का खुलासा हो सकता है और शायद मृदुबाला को पूरा जीवन जेल की चारदीवारी के पीछे काटना पड़ सकता है।
जिस तरह से मृदुबाला ने बैंक ऑफ बड़ोदा से 35 लाख रुपये की ठगी की गई है। उससे बैंक के मैनेजर,सेल्स मैनेजर की भूमिका सँगदिग्ध नजर आ रही है। जिन्होंने बगैर जांच पड़ताल के 10 लाख ₹ कीमत की मशीन पर 20 लाख ₹ का लोन पास कर दिया। जिस जगह पर ठग सुंदरी ने कपड़ा कारखाना लगाने के लिए स्थल बतलाया गया था। वह उसका था कि किराये पर लिया गया था? उसका स्वंय का था तो बंधक रखा गया था कि नही?यदि किराये पर बतलाया गया तो उस पर ऋण कैसे दे दिया गया? आदि कई अनुत्तरित प्रश्न है। जो बैंक अधिकारियो की मिलीभगत पर खड़े हो गये है।
जिन लोगो को वास्तव में बैंक से लोन लेने की आवश्यकता होती है और जो लोग अपनी सम्पति बंधक रखकर ऋण लेना चाहते है। उन लोगो को बैंक प्रबंधन इतने चक्कर कटवाते है कि पैरो की चप्पलें घिस जाती है। वहीं ठगबाजो को बैंकों द्वारा मिलीभगत कर आसानी से ऋण उपलब्ध करवा देते है क्योंकि इन लोगो के लोन पास करवाने में बैंक के अधिकारियो के कमीशन तय रहते है। लोन देने वाले अधिकारियो के तबादले के बाद लोन की फाइलें नीचे दब जाती है और नये अधिकारी अपना कमीशन कमाने के जुगाड़ में लग जाते है।