💣 टिल्लू शर्मा ✍️ टूटी कलम रायगढ़ छत्तीसगढ़…. देश की आजादी के बाद रायगढ़ नगर सिटी कोतवाली के तेजतर्रार एवं दबंग थानेदारों में 1 नाम मनीष नागर का भी दर्ज हो चुका है. उनके 20 माह के कार्यकाल के दौरान कोई ऐसी बड़ी घटना नहीं हो पाई जिस वजह से पुलिस की छवि खराब हो सके। वैसे आम बोलचाल की भाषा में पुलिस, पत्रकार,अपराधी को एक ही माला में गूथे हुए मोती माना जाता है। कोई भी अपराध पुलिस के वरदहस्त प्राप्त न होने पर पनप नहीं पाता है और कुछ पत्रकारों के द्वारा पुलिस की मुखबिरी करने पर पुलिस को कई कार्यों में सफलता मिल जाती है। मनीष नागर जब रायगढ़ जिले के पूंजीपथरा थाने में पदस्थ से तब उन्हें तत्कालीन पुलिस अधीक्षक संतोष कुमार सिंह के द्वारा कार ऑफ द ईयर से सम्मानित किया था एवं अभी पिछले माह ही प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के द्वारा प्रदेश के सभी थानों में से रायगढ़ सिटी कोतवाली थाने को प्रदेश का सर्वश्रेष्ठ थाना घोषित कर थानेदार मनीष नागर की पीठ थपथपाई थी। जिसका कारण यह है कि मनीष नागर जिस थाने में भी पदस्थ रहे वहां पर अपराधों की पेंडेंसी अत्यंत कम हो गई थी।
मनीष नागर एक कुशल समझाइशकर्ता भी है… अक्सर यह देखा जाता है कि कई लोग छोटे-छोटे मामलों को लेकर पुलिस थाने में जा पहुंचते हैं और रिपोर्ट दर्ज करवाते हैं। ऐसे लोगों की शिकायत पर मनीष नागर दोनों पक्षों को थाने में बुलवाकर बैठाकर चाय पानी पिलाकर आपसी सुलह करवाते देखे गए हैं। मनीष नागर की समझाइश के बाद दोनों पक्ष एक दूसरे के प्रति गिला शिकवा दूर करते हुए गले मिलकर भविष्य में अच्छे से रहने का वचन देते हुए थाने से विदा होते हुए भी देखा गया है। मनीष नागर के द्वारा अनाथ, बेसहारा, मजबूर, कमजोर तबकों के लोगों की मदद करते प्रायः प्रायः देखी गई थी। बेसहारा बच्चों फीस भरकर स्कूल में दाखिला करवाना, कमजोर परिवार के मृतक व्यक्ति के लिए लकड़ी एवं क्रिया कर्म के सारे समान उपलब्ध करवाकर मुक्तिधाम में जाकर अपनी उपस्थिति देना, दशकर्म एवं तेरहवीं पर मृतक भोज की व्यवस्था करवाना, अनाथ बच्चों को अनाथ आश्रम भेजना मनीष नागर के नरम दिल का प्रमाण है। यह सब सामाजिक कार्य मनीष नागर के द्वारा स्वयं की पॉकेट से रकम खर्च कर किए जाते रहे हैं। वे अपने मातहतों का एवं उनके परिवार वालों का भी पूरा पूरा ख्याल रखा करते थे।
किसी भी घटना एवं दुर्घटना की जानकारी मिलने पर मनीष नागर चंद मिनटों में ही घटनास्थल पर उपस्थित हो जाया करते थे। केलो नदी के पुल से नीचे गिरे युवक की सूचना मिलने पर मनीष नागर तत्काल वहां पहुंचकर गड्ढे में कूद गए और युवक को बाहर निकाले। मनीष नागर के द्वारा लोगों की की गई मदद एवं सामाजिक कार्यों की लंबी फेहरिस्त है। जिनका जिक्र यहां पर करना संभव नहीं हो पाएगा।
पुलिस चाहे कितने भी अच्छे कार्य कर ले परंतु असंतुष्ट लोगों को संतुष्ट नहीं कर पाएगी…. मनीष नागर लगभग 20 माह सिटी कोतवाली के थाना प्रभारी के रूप में पदस्थ रहे थे कब तक किसी ने भी उनके विषय पर उनके विपक्ष में एक लाइन खबर भी नहीं चलाई थी परंतु ना जाने क्या मनीष नागर ने क्या ऐसा कर दिया कि जिस वजह से उन्हें उनके जाने के बाद टारगेट किया जा रहा है.वे जब तक 3- 5 देते रहे तब तक उन्हें सर्वश्रेष्ठ बतलाया जाता रहा या फिर कलम को विराम देते हुए उनके विरोध में किसी भी तरह का कोई समाचार ना चलाने का प्रण लिया गया था। पुलिस से ना दोस्ती अच्छी होती है और ना दुश्मनी भली होती है। पुलिस भी एक संगठन के रूप में कार्य करती है। अधिकारी कर्मचारी आते रहेंगे और जाते रहेंगे परंतु उनके द्वारा जो डायरी नए अधिकारियों कर्मचारियों को सौंपी जाती है उसमें पूरा व्यक्तिगत रूप से उल्लेख रहता है। जिस वजह से पुलिस का विरोध करने वाले जिस दिन पुलिस की पकड़ में आते हैं तो सारे अस्त्र-शस्त्र माइक अखबार वेब पोर्टल न्यूज़ चैनल धरे के धरे रह जाते हैं। पुलिस जब किसी को निपटाने पर उतारू हो जाती है तो फिर सारा पैसा,सारी पहुंच,सारा रसूख,सारी ताकत, सारी पढ़ाई लिखाई बेकार साबित हो जाती है क्योंकि पुलिस के पास धाराओं की कमी नही होती है। ऐसी ऐसी धाराएं लगा दी जाती है की वकालत भी मजबूर हो जाती है।