
💣 टिल्लू शर्मा ✍️टूटी कलम रायगढ़ छत्तीसगढ़ की बेबाक लेखनी ✍️ शहर के नामी-गिरामी बुद्धिजीवियो, दिग्गज ताओं,तथाकथित बाहुबलीयों को उगलने वाले, पहचान बनाने वाले सतीगुड़ी,घड़ी चौक सौंदर्यीकरण एवं लाइटिंग व्यवस्था से वंचित क्यों ❓ जबकि ये चौक शहर के जीरो प्वाइंट एवं ह्रदय स्थल माने जाते हैं। इस चौक से कलेक्टर, एसडीएम, विधायक, निगमायुक्त, निगम महापौर, सभी आला अधिकारियों एवं पक्ष विपक्ष के तमाम नेताओं का आवागमन निरंतर बना रहता है. मगर इस ओर किसी का कोई ध्यान क्यों नहीं जाता है. चौक पर बुद्धिजीवियों रसूखदार नेताओं की प्रतिदिन शाम के समय महफिल जमती है। धीरे-धीरे गणेश तालाब एवं जय सिंह तलाब छिछोरो,असामाजिकतत्वो,नशेड़ीओ, सड़क छाप मजनूओ का अड्डा बनने लगा है। इन तालाबों की देखरेख सुरक्षा की व्यवस्था नगर निगम के द्वारा की जानी चाहिए। आश्चर्य का विषय तो यह है कि इन चौक से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एवं प्रिंट मीडिया वालों का भी गहरा नाता है। इसके बावजूद इस चौक के सुंदरता की अनदेखी समझ से परे है एवं मीडिया में उक्त सवाल क्यों नहीं उठाया जाता ❓

5 साल के अंदर शहर से सड़कों का नामोनिशान मिट जाएगा… शहर की लगभग सभी सड़कों एवं गलियों का बुरा हाल हो चुका है शहर के मुख्य मार्ग जगह-जगह से गड्ढों में तब्दील होते जा रहे हैं जो अमृत मिशन,ऑप्टिकल फाइबर, मोबाइल कंपनियों आदि की देन है। कार्य पूर्ण होने के पश्चात सड़कें पाटकर जस की तस छोड़ दी जाती है जिसके ऊपर किसी भी किस्म की ढलाई आधी नहीं की जाती है इस वजह से शहर की सड़कें दिनोंदिन गड्ढों में तब्दील होती जा रही है। शहर की 25 सड़कों के निर्माण का कार्य कब प्रारंभ होगा यह कोई नहीं जानता। हां मगर इतना जरूर है कि यदि आगामी 5 साल तक जनप्रतिनिधि, निगम के पार्षद, सभापति, महापौर, आयुक्त, कलेक्टर आदि यही रहेंगे तो शायद 5 साल के अंदर शहर से सड़कों का नामोनिशान मिट जाएगा और सड़कें जमींदोज हो जाएगी। आजादी के बाद से इन दिनों पहली बार रायगढ़ शहर की सड़कों की इतनी दुर्गति होती देखी जा रही है।
शहर के सभी बिजली खंभों पर लगे हैं बोर्ड… यह भी देखा जा रहा है कि शहर के तमाम बिजली खंभों पर छूट भैया नेताओं के आगमन जन्मदिन की बधाई आदि वाले बोर्ड टांगे हुए हैं जोकि शहर की सुंदरता को पूरी तरह से खराब कर रहे हैं। नगर निगम एवं विद्युत मंडल को चाहिए कि शहर के सभी विद्युत खंभों से बोर्डों को हटाकर किसी के द्वारा भी बोर्ड टांगने पर जुर्माना की कार्रवाई या पुलिस में एफ आई आर दर्ज करवानी चाहिए। यह सीधे-सीधे सरकारी संपत्ति का अनाधिकृत रूप से उपयोग करने का मामला बनता है जो कि काफी गंभीर विषय है। जिनकी पहचान स्वयं के मोहल्ले में नहीं है उनकी पहचान शहर में करवाने से क्या कुछ कर सकेंगे बोर्ड मे लगी फोटो वाले व्यक्ति।

जख्मो से भरी सड़कों का इलाज इस तरह की मरहम लगाकर नहीं किया जा सकता… नगर निगम के द्वारा शहर की सड़कों में हो चुके बड़े-बड़े गड्ढों को बालू, सीमेंट ,गिट्टी के द्वारा भरने का प्रयास कर भ्रष्टाचार का खेल खेला जा रहा है. चाणक्य इन गड्ढों को भरने का ठेका भी लाखों ₹ में दिया गया होगा. जिसका कोई औचित्य नहीं है क्योंकि जिन जिन गड्ढों को भरा गया था वे अगले दिन ही पुनः उसी हालत में लौट चुके हैं.

रायगढ़ शहर के विकास, बिगड़ी यातायात व्यवस्था, टूटी फूटी सड़कें, राशि स्वीकृत हो चुके संजय कंपलेक्स सब्जी मंडी का निर्माण कार्य, हाइटेक बस स्टैंड, शहर के सिकुड़ते मार्गों, रविशंकर शुक्ल मार्केट का चौड़ीकरण, सतीगुड़ी, घड़ी चौक, गणेश तलाब, जयसिंह तलाब, आदि का रखरखाव, सौंदर्यीकरण, विद्युत व्यवस्था, इतवारी बाजार में सब्जी मंडी का स्थानांतरण, आदि ऐसे सैकड़ों कार्य है जो की पूर्व कलेक्टर डॉक्टर राजू, अमित कटारिया ,मुकेश बंसल नगर निगम के आयुक्त आशुतोष पांडे आदि सरीखे अधिकारियों के बस की बात है। वर्तमान के अधिकारियों में इतनी इच्छा शक्ति और हौसला नहीं है कि शहर का कुछ विकास कार्य होना संभव माना जा सके। सन 2020 में बन चुके शहर के मास्टर प्लान पर कार्य अब तक शुरू नहीं किया जा सका है। 3 साल तो यूं ही गुजर गए और आने वाले 7 साल भी यूं ही गुजर जाएंगे।
