
नाजुक महिलाकर्मी भी पीछे नही है मेहनत करने,धूप में तपने,पसीना बहाने में

भगवान ने मानव शरीर एक ही तरह का बनाया है। कुछ लोग उसको मेहनत करके योगा, कसरत आदि करके मजबूत अवश्य बना लेते हैं जो कि बाहरी आवरण होता है परंतु अंदरुनी रूप से सब मानव एक समान होते हैं। यह देखा जा रहा है कि पिछले माह से पुलिस कर्मचारियों के साथ अधिकारियों के साथ महिला पुलिसकर्मी भी कंधे से कंधा मिलाकर अपनी ड्यूटी निभा रही है। ये महिला पुलिसकर्मी भी अपने घर की राजकुमारी, परी एवम दुलारी होंगी किंतु पुलिस की नौकरी के चलते ये लोग सुननसान सड़को,चौक-चौराहों पर तपती धरती, लू के थपेड़ों को सहती हुई सुबह 5:00 बजे से संध्या 7:00 बजे तक अपनी ड्यूटी निभाकर शहर को कोरोना मुक्त रखने में मदद कर रही है। अलसुबह 4 बजे से बिस्तर त्यागकर ये महिला पुलिस अधिकारी, कर्मी अपनी ड्यूटी पर जा डटती है एवं दिनभर तमाम तरह के मूढ़, मूर्ख, जाहिल लोगो की बेतुकी बातो का सामान कर काफी सरदर्द भी लेती है। ये नारी हृदय महिला पुलिस वालियों को न चाहते हुए भी बेवजह घुमंन्तु किस्म के लोगो,लाकडाउन तोड़ने पर आमादा अर्धज्ञानी, बिगड़ैल नवाबजादो को दण्ड देना ही पड़ जाता है।इनके आगे सारे अनुनय,विनय धरे के धरे रह जाते है। पुलिस डी एस पी (IU CAV) गरिमा द्विवेदी के कड़क मिजाज के आगे हर किसी की अकड़ धरी की धरी रह जाती है।इनकी मेहनत पर इससे ज्यादा क्या कहा जा सकता है कि शहर के सबसे व्यस्तम शहीद चौक की चौकसी एवं जांच पड़ताल की जिम्मेवारी ये बखूबी से निभाकर पुलिस की गरिमा बढ़ा रही है। प्रशिक्षु डी एस पी में ज्योत्स्ना चौधरी,अंजुकुमारी को सही समय मिला है प्रशिक्षण लेने का जो बेहतरीन तरीके से पुलिसिया कार्य सिख रही है, तो थानेदार सरिया अंजना केरकेट्टा नित नई सफलता की सीढी चढ़ रही है, तो थानेदार सन्तोषी ग्रेस (अजाक थाना)चक्रधरनगर चौक पर अल सुबह से हाजिर हो कर 12 बजे बाजार बंद करवाने में अपनी महत्ती भूमिका निभा रही है, तो वहीं महिला आरक्षक मंजू मिश्रा,आराधना आनंद,मंगलवती,अपनी ड्यूटी करते बेंत थामे लोगो को समझाईश देते दिखलाई पड़ती है।वहीं नगर सैनिक (महिलाकर्मी) भरी दोपहरी,,चलती लू के थपेड़ों का सामना कर चौक चौराहों पर अपनी पैनी निगाहे गड़ाई रहती है।यदि जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन भी अन्य विभागों की तरह कुंभकरण की नींद में सो जाए तो इस शहर का क्या हाल होगा इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती।

