रायगढ़ जिले का बहुचर्चित, विश्वसनीय सुधी पाठकों की पहली पसंद, निडर,निष्पक्ष,निर्भीक, नंबर वन की पायदान पर बेबाक वेब न्यूज़ पोर्टल ” टूटी कलम ” संपादक व्यंगकार, विश्लेषक,विचारक,लेखक, माता सरस्वती का उपासक कलम का मास्टरमाइंड “टिल्लू शर्मा” कोई नहीं है टक्कर में काहे पड़े हो चक्कर में, हमारी अनुपस्थिति में भी सदन में हमारे ही चर्चे होते हैं.
🎤टिल्लू शर्मा ✒️टूटी कलम रायगढ़ छत्तीसगढ़ … आगामी नवंबर माह में छत्तीसगढ़ प्रदेश में विधानसभा के चुनाव होने हैं. निर्वाचन आयोग के द्वारा आचार संहिता कभी भी लगाई जा सकती है. विधानसभा लोकसभा के चुनाव को हम पंचवर्षीय त्योहार भी कह सकते हैं और इस त्यौहार को आमजन के द्वारा धूमधाम से मनाना चाहिए एवं घर की, मोहल्ले की,जेबों (पाकिटो) की कमी से समस्त प्रत्याशियों को अवगत करा कर कवियों को पूरी कर लेनी चाहिए क्योंकि चुनाव जीतने एवं हारने के पश्चात प्रत्याशियों के चेहरे आगामी 5 साल तक के लिए गायब (अदृश्य) हो जाया करते हैं. गली गली में जो लोग हाथ जोड़कर वोटो की भीख मांगते नजर आते हैं।चुनाव के पश्चात वही लोग लग्जरी वाहनों में बैठकर बगैर अगल-बगल देखें निकल जाया करते हैं एवं आमने-सामने होने पर पहचानते भी नहीं है। इसलिए जागरूक मतदाताओं को चाहिए कि मुंह खोलकर अपने डिमांड पूरी करवा अन्यथा बाद में बाद का काम बाद में पूरा नहीं हो पता है। इसलिए बर्तन, गैस सिलेंडर, साड़ी, कपड़े, दरी, क्रिकेट किट,मल्टी जिम, नगद नारायण, अंग्रेजी ब्रांड की महंगी शराब, बकरा भारत, सैर सपाटा पिकनिक आदि के लिए मुंह खोलकर मांगना चाहिए ताकि पंचवर्षीय त्योहार धूमधाम से मनाया जा सके। सब की पूर्ति के लिए बाद में या झूठा आश्वासन लेना अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने के समान होता है।
मीडिया वालों की निकली लॉटरी.. चुनाव रूपी पंचवर्षीय त्यौहार का सबसे ज्यादा फायदा मीडिया वालों के द्वारा उठाया जाता है. अग्रिम भुगतान लेने के पश्चात किसी भी ऐरे गेरे नत्थू खैरे के चेहरे को चुनाव जितने वाला चेहरे के रूप में प्रस्तुत कर दिया जाता है। भले ही उस चेहरे को उसके परिवार के सदस्य भी वोट ना देते हो। 5 साल तक पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल रहने वाले को भी मीडिया के द्वारा पार्टी का सच्चा सिपाही एवं जमीनी नेता बतलाकर नमक का फर्ज निभाया जाता है।
मीडिया वालों को उनके वजन के अनुसार 500, 1000, 2000, 5000 रुपए देकर किसी के द्वारा भी विधायकी की दावेदारी करने, स्वयं को जननेता बतलाने, स्वयं की जीत के दावे करने, आदि जैसे समाचार को वेब पोर्टल न्यूज़ एवम अखबारों में छपवाकर पार्टी के हाई कमान तक पहुंचाकर दिग्भ्रमित किया जाता है। शंकर को कांग्रेस से सुनील को भाजपा से योग्य उम्मीदवार बतलाकर मुंगेरीलाल के हसीन सपने दिखाए जाते हैं। चुनाव के बाद फलाने प्रत्याशी की जीत के खोखले दावे सुनिश्चित किए जाते हैं और बदले में गिफ्ट, नकदी आदि लेकर कर्ज उतारे जाते हैं। इसके ठीक विपरीत चुनावी विश्लेषण हुआ करते हैं जिन्हें बौद्धिक स्तर के लोगों के द्वारा किया जाता है।