🎤टिल्लू शर्मा ✒️टूटी कलम रायगढ़ … जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव का काउंटडाउन शुरू हो रहा है। वैसे-वैसे मीडिया ने अंगड़ाइयां लेनी शुरू कर दी है। पंचवर्षीय त्योहार आम चुनाव के दौरान होने वाली ऊपरी कमाई करने के लिए मीडिया कर्मी संभावित प्रत्याशियों के घर कार्यालय जाकर उनका साक्षात्कार लेने में लग गए हैं। जिसके बदले में उनको कुछ गांधी छाप कागज मिल जाया करते हैं। किसी को भी टिकट मिले या ना मिले इससे मीडिया कर्मियों को कोई वास्ता नहीं रहता है. इनका मकसद केवल सभी संभावित दावेदारों के यहां जाकर हाजिरी बजाना और कुछ फायदा ले लेना ही होता है. मीडिया वाले धन लेकर हरने वाले को भी जीतने का सशक्त दावेदार बनाकर पेश कर देते हैं ताकि उनका संदेश प्रदेश से लेकर दिल्ली तक पहुंचाया जा सके। मगर रायपुर एवं दिल्ली में बैठे दिग्गज नेता दिमाग से पैदल नहीं हुआ करते हैं वे समझ जाया करते हैं कि उक्त समाचार धन देकर कर प्रसारित करवाया गया है। जो उम्मीदवार जितना ज्यादा धन देकर अपने पक्ष में समाचार छपवाया करता है उसकी टिकट उतने ही खतरे में पड़ जाया करती है. पेड़ पौधे लगाकर या शिवजी की पूजा आरती करने से टिकट नहीं पाई जा सकती. टिकट के दावेदार चुनाव के पश्चात 5 वर्षों तक जनता के साथ खड़े रहते हैं एवं गांव गांव जाकर लोगों से रूबरू हुआ करते हैं।
स्क्रिप्ट लिख कर दे साथ में 500₹ तो खबर बन सकती है. जिन मीडिया वालों को लिखना तो क्या बात करना तक नहीं आता है। उन्हें कोई भी उम्मीदवार लिखी लिखाई स्क्रिप्ट ,फोटो देकर स्वयं के पक्ष में कुछ भी समाचार वायरल करवा सकता है । शर्त यह रहेगी की प्रति समाचार अधिकतम 500₹ नगद भुगतान करना होगा। समाचार चाहे रात को दिन और दिन को रात बतलाने वाला ही क्यों ना हो. इस सुविधा का लाभ लाइन में लगे तथाकथित समाजसेवी के द्वारा पूर्ण रूप से उठाया जा रहा है।
धन बल के जोर पर यदि नेता चुना जाता तो शायद टाटा, बिड़ला, जिंदल, अडानी, अंबानी,डालमिया आदि देश के प्रधानमंत्री होते इनके अतिरिक्त किसी का नाम ही नहीं आता.