रक्षाबंधन के पवित्र त्योहार पर बहनों को समर्पित विशेष लेख
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हर किसी को राखी बांधना भविष्य में नुकसानदेह हो सकता है
रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है इसे जानने के लिए हमें हजारों साल पीछे जाना होगा हजारों साल पहले की बात है किसी समय भगवान श्री कृष्ण की उंगली सुदर्शन चक्र की वजह से कट गई थी और उसे खून बहने लगा था तब उपस्थित द्रोपदी में अपनी साड़ी फाड़ कर भगवान श्री कृष्ण की उंगली पर बांधी गई थी. तब भगवान श्री कृष्ण ने द्रौपदी से कहा था कि जीवन में जब कभी भी उसे पर मुसीबत आएगी तो तब वे वहां उसकी रक्षा के लिए उपस्थित रहेंगे. द्रोपदी को दिए उक्त वचन को श्री कृष्ण ने चीर हरण के समय उपस्थित रहकर पूरा कर दिया। धर्मराज कहलाने वाले युधिष्ठिर के द्वारा पांच भाइयों की एक पत्नी द्रोपदी को जुए में दांव लगाकर हारा गया था। तब कौरवों ने पांडवों को नीचा दिखाने के लिए जब भरी सभा में द्रोपदी की साड़ी उतारी जा रही थी। उसे समय श्री कृष्ण अदृश्य रूप में उपस्थित होकर अपने हाथ में साड़ी का अत्याधुनिक ऑटोमेटिक प्लांट के द्वारा द्रोपदी की साड़ी की लंबाई बढ़ा दी गई और द्रोपदी का चीर हरण नहीं हो पाया।
तबसे बहनों के द्वारा भाइयों की कलाइयों पर रक्षा करने के लिए राखी की शुरुआत हुई
रक्षाबंधन के दिन बहनों के द्वारा भाइयों की कलाइयों पर रक्षासूत्र, (मोली,नाल) ही बांधना चाहिए. जिसे वास्तविक रक्षाबंधन कहा जाता है. राखी बांधना आधुनिक परंपरा है. रेशम की डोरी के साथ रिश्ते भी चिकने होकर फिसल जाया करते हैं क्योंकि रेशम की डोरी चिकनी होती है धनाढ्य बहने अपने भाइयों की कलाई में महंगी,महंगी राखियां एवं सोने,चांदी के ब्रेसलेट पहनाकर पवित्र रक्षाबंधन त्योहार को पैसे के रूप में मनाया जाने लगा है
ब्राह्मणों के द्वारा अपनी रक्षा के लिए ठाकुरो की कलाइयों पर रक्षा सूत्र बांधा जाता था। जिस वजह से ब्राह्मणों की रक्षा करने की जिम्मेदारी ठाकुरों पर हुआ करती थी. इसलिए ब्राह्मण से रक्षा सूत्र बंधवाकर उनको सुरक्षित रखा जाना चाहिए। ब्राह्मण के द्वारा पूजा पाठ संस्कार, क्रिया कर्म, सभी कार्य किए जाते हैं पृथ्वी पर ब्राह्मण भगवान के रूप में साक्षात होते हैं.जिन्हे भगवान का आशीर्वाद माना जाता है
राखी के पवित्र रिश्ते को बदनाम करते हैं कई लोग
राखी को भाई-बहन के बंधन को दुनिया का सबसे पवित्र रिश्ता माना जाता है। मगर कुछ लोग इस बंधन का नाजायज फायदा उठाने से नहीं चूकते हैं और वे रक्षाबंधन का इंतजार बड़ी बेसब्री से करते हैं। अपनी बहन की सहेली या किसी अन्य को पाने की चाहत के लिए हरामी किस्म के लोग राखी बंधवाकर रिश्ते की शुरुआत करते हैं और धीरे-धीरे नजदीकियां बढ़ाकर रिश्ते को कलंकित करने से नहीं चूकते हैं ऐसी कई घटनाएं सुनने एवं देखने को मिल जाया करती है. अवांछनीय तत्वों के द्वारा सबसे पहले किसी युवती से राखी बंधवाकर उसके घर में आना जाना शुरू कर दिया जाता है। माता-पिता भी भाई-बहन के रिश्ते समझकर छूट प्रदान कर देते हैं. जिसकी हकीकत अक्सर सामने आ जाया करती है. बहन की सहेली से राखी बंधवाकर कई लोग अपने घिनौने मकसद में कामयाब हो जाया करते हैं.
कई बार यह पढ़ने को मिलता है कि आप के द्वारा अपनी बेटी और भाई के द्वारा अपनी बहन को अपनी हवस का शिकार बनाया. जब सगे रिश्ते कलंकित हो सकते हैं तो दूसरों पर विश्वास करने में अक्सर विश्वासघात मिल सकता है