🎤 टिल्लू शर्मा ✒️ टूटी कलम रायगढ़ …. वर्षों से एक ही जिले में एक ही थाने में जमे कुछ घाघ किस्म के पुलिस कर्मचारी अधिकारियों से बहुत अधिक प्रति माह कमाते है। पुलिस के आला अधिकारियों का तबादला साल 2 साल के कार्य के पश्चात कर दिया जाता है। जिसका फायदा भी फेविकोल की तरह से चिपके हुए कर्मचारी उठाया करते हैं। आने वाले नए आला अधिकारियों को जिले की भौगोलिक स्थिति का मालूम नहीं होता है और ना ही वे किसी कोयला,कबाड़,शराब,गांजा,जुआ,सट्टा आदि के अवैध व्यवसाय करने वालों को जानते पहचानते हैं। अपना तबादला होने से पूर्व आला अधिकारी आगंतुक अधिकारी की सुविधा के लिए अवैध कारोबारियों, मिडियेटर, खबरीलालो, पत्रकारिता से ज्यादा मुखबिरी करने वाले मीडिया कर्मियों के नाम के नाम एवं नज़राने की रकम लाल डायरी में लिखकर सुविधा प्रदान करके चले जाते हैं। पुलिस कर्मचारियों के द्वारा आगंतुक अधिकारी को बहुत कड़ा अनुशासन प्रिय, अपराधों पर नियंत्रण रखने वाला, आदि बतलाकर अपना नजराना अवैध कारोबारियों से बढ़वा लिया जाता है।
ध्यान देने योग्य बात यह है कि रायगढ़ पुलिस के छोटे से छोटे आरक्षक चार पहिया वाहनों के मालिक है। कई आरक्षकों की स्कॉर्पियो बोलोरो इनोवा आदि लग्जरी गाड़ियां पुलिस महकमे में ही महावारी किराए पर लगा दी गई है। जिनके डीजल का वहन पुलिस प्रशासन करता है और साथ ही आरक्षक अपनी गाड़ियों में ही घूमते फिरते रहते हैं। इन निजी वाहनों का उपयोग इनके अतिरिक्त और कोई नहीं कर सकता है। आरक्षको के वाहन रिश्तेदारों के नाम पर होती है जिस वजह से इन पर कोई कार्रवाई होनी संभव नहीं हो पाती है.
आमतौर पर यह देखा जाता है कि अवैध कबाड़, शराब, गांजा, कोयला आदि के परिवहन करने वाले वाहनों को जप्त कर मामला ड्राइवरों, कंडक्टरों, खलासियो, पर बना दिया जाता है लेकिन कबाड़ बेचने वालो और खरीदने वालो के ऊपर न जाने किस वजह से नरमाईं कर नज़रें फेर ली जाती है। चोरी का माल बेचना और खरीदना दोनों ही एक ही अपराध के दायरे में आते हैं।
पूंजीपथरा, भूपदेवपुर, जूट मिल चक्रधर नगर ये थाने जिले में सबसे ज्यादा कमाई करने वाले थाने माने जाते हैं। जो कुछ भी अवैध कारोबार होता है वह इन्हीं थानों के क्षेत्रअंतर्गत होता है। इसके बावजूद इन थानों में किसी भी तरह का बड़ा मामला दर्ज न होना अपने आप उक्त थानों की कार्यप्रणाली की पोल खोल दिया करता है.