🌀टिल्लू शर्मा टूटी कलम रायगढ़.. श्री कृष्ण जन्म उत्सव के अवसर पर पूरे नगर में जगह-जगह भंडारे लगाए गए थे। जिसमें बाहर से, ग्रामीण क्षेत्रों एवं शहर के बाहरी वार्डो से आए श्रद्धालुओं ने खिचड़ी, खीर, पुड़ी,सब्जी,बूंदी,दाल,चावल,कढ़ी,आदि का भरपूर प्रसाद ग्रहण कर सेवा का लाभ लिया।
युवक संघ की सराहना चहुंओर हो रही है। जिसके द्वारा लगातार दो दिनों तक भव्य भंडारा का आयोजन कर अनगिनत दर्शनार्थियों को अत्यंत शालीनता,इज्जत देकर भरपेट भोजन करवाया गया। युवक संघ के द्वारा सुबह 11:00 बजे से भंडारा शुरू किया जाता रहा और 7 तारीख को भंडारा देर रात्रि 2:30 बजे तक चला रहा। भंडारे में सेवा देने के लिए अति विशिष्ट, विशिष्ट, समाज सेवियों,आम जनता का सहयोग मिलता रहा। जिन्होंने पंडाल में आकर अपने हाथों से दर्शनार्थियों को भंडारे का प्रसाद परोसा गया। ओ पी चौधरी,अनूप बंसल,राजेंद्र अग्रवाल(तुलसी) सुनील (लेंधरा) विक्की (पुष्पक) दीपक (डोरा) पायल (पुष्पक) लता (डोरा) बीना चौहान, सुरेषा चौबे (कमांडेंड) चंपा अग्रवाल,आदि के अतिरिक्त युवक संघ के ऊर्जावान सभी सदस्यों ने अपनी पूरी ऊर्जा लगाकर भंडारे को सफल बनाने में कोई कसर ना छोड़ी।
केवल चार स्थानों पर ही सिमट कर रह गया पूरा जन्माष्टमी मेला … यूं तो दर्जनों स्थानों पर बाहर से आए श्रद्धालुओं के लिए खान पान की व्यवस्था की गई थी। मगर लाखों लोगों की भीड़ शहर के चार स्थानो मीना बाजार, श्री श्याम मंदिर, श्री गौरी शंकर मंदिर,युवक संघ के भंडारे में सर्वाधिक देखी गई। युवक संघ के भंडारे में लोगों का ताता नहीं टूटा। लोग यहां आकर अति स्वादिष्ट भोजन का आनंद उठाकर तारीफ करते नहीं थके। युवक संघ के भंडारे की तुलना जगन्नाथ पुरी के महाप्रसाद के रूप में करते सुना गया।
टूटी कलम के संपादक “टिल्लू शर्मा” के चुंबकीय आमंत्रण से लोग खींचे चले आए.. युवक संघ के के सुरेश गोयल ने माइक के द्वारा लोगों को आमंत्रित करने का जिम्मा टिल्लू शर्मा को सौप दिया गया था। टिल्लू शर्मा की स्पष्ट आवाज एवं आमंत्रित करने के तरीके से अभिभूत होकर जनसैलाब उमड़ता रहा। भंडारे में आने वाले लोग लाइन लगाकर प्रसाद लेने के लिए अपनी बारी का इंतजार करते रहे और टस से मस ना हुए। टिल्लू शर्मा के द्वारा एंकरिंग के बीच बीच में जय श्री कृष्णा, जय राधे राधे, जय जगन्नाथ, वृंदावन बांके बिहारीलाल, नंद के घर आओ नंदलाल, हांथी, घोड़ा, पालकी, जय कन्हैया लाल की, जय श्री श्याम, आदि के जयकारे लगाए जाते रहे जिसमे उपस्थित जन समुदाय भी बराबर की सहभागिता निभाते हुए जयकारे लगाते रहे।