
रायगढ़ जिले का बहुचर्चित,प्रतिष्ठित विश्वसनीय,लोकप्रिय,दमदार,पाठको की पसंद, छत्तीसगढ़ स्तर पर जाना पहचाना न्यूज वेब पोर्टल,**टूटी कलम** निडर,निष्पक्ष, निर्भीक, बेबाक,बेखौफ… पत्रकारिता करना मेरा शौक है,जुनून है,आदत है,दिनचर्या है, मजबूरी है,कमजोरी है, 👉..ना कि आय का साधन है, न व्यवसाय है,पेट भरने का जुगाड़ है,और ना ही ..👉 डराने,धमकाने, ब्लैकमेलिंग,उगाही,वसुली,भयादोहन, विज्ञापन,लेने का लाइसेंस मिला हुआ है. संपादक माता सरस्वती का उपासक, कलम का मास्टरमाइंड,बेदाग छवि की पहचान, सच को उजागर करने वाला,लेखक विश्लेषक,चिंतक,विचारक,व्यंगकार, स्तंभकार, हर जगह दिखावे के लिए माइक आईडी लेकर नहीं घूमने वाला @यारों का यार दुश्मनो का दुश्मन@ *चंद्रकांत (टिल्लू) शर्मा 8319293002…. जिला ब्यूरो चीफ राष्ट्रीय स्तर के अखबार,चैनल “जन जागरण संदेश”
🏹टिल्लू शर्मा ✒️टूटी कलम 🎤न्यूज रायगढ़ छत्तीसगढ़…. अगर कोई कलेक्टर नौकरी छोड़कर नेता बनता है. तो वह आजीवन नेता नहीं रह पाता है. जिसे मूर्खतापूर्ण कार्य कहा जा सकता है क्योंकि एकमात्र कलेक्टर ही सबसे बड़ा जन सेवक होता है. जिसके माध्यम से जन कल्याणकारी,जनहित,लोकहित, योजनाओं का क्रियान्वन किया जाता है. कलेक्टर के एक हस्ताक्षर पर बहुत कुछ हो सकता है.कलेक्टर हमेशा कलेक्टर ही रहता है. कलेक्टर के कार्य से नाखुश होकर बड़े नेता ज्यादा से ज्यादा उनका स्थानांतरण करवा सकते हैं या सचिवालय में पदस्थ करवा सकते हैं. मगर उनके पास जो IAS की डिग्री होती है उसे कोई नहीं छीन सकता. मगर यदि कलेक्टर चाहे तो नेता की नेतागिरी खत्म कर सकता हैं. कलेक्टर के आगे प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री के आदेश भी कोई मायने नहीं रखते हैं परंतु जिसकी सरकार होती है. उसके अधीन कार्य करना पड़ता है. कलेक्टर के पास किसी का भी ठेका, परमिट, लाइसेंस,जमीन का पत्र निरस्त,रद्द करने करने की ताकत होती है जबकि नेताओं के पास इस ताकत का सर्वथा अभाव रहता है. कलेक्टर यदि चाहे तो प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री किसी का भी दौरा कार्यक्रम किसी भी बिंदु के माध्यम से रुकवा सकते हैं. केंद्र एवं राज्य से जो राशि आबंटित होती है. उसे जिला प्रशासन के माध्यम से व्यय किया जा सकता है. सरकार से मिलने वाला फंड किसी भी जनप्रतिनिधि को नहीं दिया जाता है.
कलेक्टर जब अपनी कुर्सी पर बैठा होता है तो उसके सामने प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री चाहे कोई भी हो खड़े रहते हैं और सर सर बोलते हैं. जिसका उदाहरण रायगढ़ लोकसभा का नामांकन दाखिल करते समय देखने को मिला.जब कलेक्टर अपनी कुर्सी पर बैठे रहे और सामने प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय,वित्त मंत्री ओपी चौधरी आदि खड़े रहे और सर सर का उच्चारण करते रहे. वही जब कलेक्टर मंत्रियों को कार्यालय में जाते हैं तो कलेक्टर इन जनप्रतिनिधियों को सर सर बोलते हैं. यह सब सब कुर्सी की पावर होती है. नेता लोग लोग 5 साल के बाद कुर्सी से उतर जाते हैं मगर कलेक्टर अपनी कुर्सी पर जमे रहते हैं.
यदि कलेक्टर को जिले का राजा कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी क्योंकि जिले का बड़े से बड़ा रसूखदार व्यक्ति, अधिकारी, कर्मचारी, नेता आदि सभी कलेक्टर के सामने खड़े रहते हैं और जी सर जी सर कहते रहते हैं. कलेक्टर यदि अपने चेंबर में किसी को भी आने से मना कर दे तो किसी की मजाल नहीं होती की जबरन कार्यालय में घुस जाए. चाहे वह मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री कोई भी क्यों ना हो.