🔱टिल्लू शर्मा ✒️टूटी कलम 🎤न्यूज़ | रायगढ़, छत्तीसगढ़
रंजीत चौहान अब भी फरार: पुलिस की कार्रवाई पर उठे कई सवाल, क्या कोई बड़ा चेहरा बचा रहा है?
रायगढ़ जिले में चर्चित ठगी मामले में मुख्य आरोपी रंजीत चौहान की गिरफ्तारी अब तक नहीं हो पाई है। जबकि ठीक एक माह पूर्व माननीय सत्र न्यायालय ने उसकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी। सूत्रों की मानें तो उसी अगली सुबह कलेक्ट्रेट के सामने छोटे दरोगा और रंजीत के साथी सुदीप मंडल के बीच गुप्त बातचीत देखी गई थी, जिसकी पुष्टि आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों से की जा सकती है। इस बातचीत के ठीक बाद रंजीत रायगढ़ से गायब हो गया और अब तक फरार है।
देर से दर्ज हुई FIR, पुलिस पर गंभीर सवाल
रंजीत के खिलाफ चक्रधरनगर थाना में दो एफआईआर दर्ज करवाने में पीड़ितों को काफी संघर्ष करना पड़ा। FIR पुलिस महानिरीक्षक संजीव शुक्ला के हस्तक्षेप और आदेश के 15 दिन बाद जाकर दर्ज की गई। वहीं, पीड़ित अनिल गर्ग को आठ महीने बाद बताया गया कि उसकी रिपोर्ट सिटी कोतवाली में दर्ज होगी। आखिर चक्रधर नगर थाना उसे इतने महीने तक “कल लिखेंगे” कहकर क्यों टालता रहा? इसी तरह दो और पीड़ितों को दो साल तक न्याय के लिए दौड़ाया गया।
संगीन धाराओं के बावजूद गिरफ्तारी क्यों नहीं?
रंजीत पर IPC की धाराएं 420, 467, 468, 471, 318, 34 के तहत गंभीर आरोप हैं। बावजूद इसके, रायगढ़ पुलिस जिसे झारखंड, बिहार, यूपी, उड़ीसा और महाराष्ट्र से साइबर अपराधियों को पकड़ लाने का गर्व है, वो अपने ही जिले से रंजीत को अब तक गिरफ्तार क्यों नहीं कर सकी? क्या इस मामले में कोई राजनीतिक दबाव काम कर रहा है? मीडिया की चुप्पी संदेह पैदा करती है या लक्ष्मी देवी की कृपा है, यह अब जनचर्चा का विषय बन चुका है।
बड़े खुलासों की आशंका, इसलिए बचाया जा रहा है?
सूत्रों के मुताबिक, रंजीत अकेला इस बड़े नेटवर्क को अंजाम नहीं दे सकता। उसकी गिरफ्तारी के बाद कई रसूखदार चेहरों की सच्चाई सामने आ सकती है। ऐसे में यह कयास भी लगने लगे हैं कि जानबूझकर गिरफ्तारी नहीं की जा रही ताकि सहयोगियों को बचाया जा सके।
जेल प्रशासन की उलझन: कहां रखा जाए रंजीत को?
रंजीत चौहान की गिरफ्तारी के बाद उसे जेल में कहां रखा जाएगा, इसे लेकर भी प्रशासन में असमंजस की स्थिति है। हालांकि नाम से भ्रम हो सकता है, लेकिन आरोपी पुरुष है, इसलिए उसे पुरुष बैरक में ही रखा जाएगा। अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, जेल के कई बंदी रंजीत के आगमन से खासे उत्साहित हैं लेकिन खुलकर इजहार नहीं कर पा रहे।
लोकेशन ट्रेस करना मुश्किल नहीं, लेकिन इच्छाशक्ति कहां?
अगर पुलिस व साइबर सेल चाहें, तो रंजीत की लोकेशन ट्रेस करना कोई मुश्किल काम नहीं है। उसकी बहन और सुदीप मंडल की कॉल डिटेल्स खंगालने से रंजीत तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। रंजीत लगातार नए नंबरों से संपर्क कर पुलिस, मीडिया और साइबर सेल की गतिविधियों पर नजर बनाए हुए है।
अब सवाल ये है कि क्या रायगढ़ पुलिस अपने कप्तान द्वारा मीडिया में दिए गए “शीघ्र गिरफ्तारी” के बयान पर खरी उतरेगी? या फिर यह मामला भी उन चर्चित फाइलों में शामिल हो जाएगा जिनका अंत कभी नहीं होता?
अब वक्त है कि रायगढ़ पुलिस रंजीत को भगोड़ा घोषित कर उसकी तस्वीरें प्रदेश व उड़ीसा के थानों में भेजे और सार्वजनिक रूप से ऐलान करे कि सूचना देने वाले को ₹10,000 का नकद इनाम दिया जाएगा, साथ ही उसका नाम पूरी तरह गोपनीय रखा जाएगा। तभी विश्वास बहाल होगा कि कानून सिर्फ कागज़ों में नहीं, ज़मीन पर भी ज़िंदा है।