टूटी कलम रायगढ़—- पिछले दो दिनों से सुर्खियां बंटोर रहा बलात्कार कांड आपसी व्यवसायिक प्रतिस्पर्धा का परिणाम तो नही है कहीं ? क्यूंकि इस कांड की सत्यता पर कई प्रश्न चिन्ह उतपन्न हो रहे है। जिनकी जांच से सम्भवतया झूठ से पर्दा उठ सकता है एवं बौद्धिक नजीरिये से भी देखा जाए तो यह आसानी से समझा जा सकता है कि इसके ताने बाने इस कदर बुने गए कि सहसा कोई भी विश्वास कर सकता है परन्तु गहराई में जाने पर यह एक सोची समझी साजिश भी हो सकती है। आइये निम्न बिंदुओं पर जरा निगाह करें
(1) यह कि जिस पर बलात्कार का आरोप लगाया गया है। वह प्रदेश का नामी गिरामी ठेकेदार है जो 25 साल के अंदर ही स्वयं की मेहनत और लगन से इस मुकाम को हासिल किया है। जिस वजह से वह प्रतिस्पर्धियों की आंखों की किरकिरी बन गया। (2) जैसा कि बतलाया गया है कि सुनील का ट्रैवल्स एजेंसी में आना जाना था तो यह प्रश्न उठना स्वभाविक है कि जिसके पास स्वयं की कई लग्जरी वाहन हो तो वह वहां क्या करने जाएगा ? यदि किसी दूसरे के लिए भी चाहिए तो उसके एक फोन पर गाड़ियों की कतार लग जायेगी। (3) जैसा कि आवेदिका ने बतलाया कि उसे बुलाकर चाय में नशीली दवा पिलाकर बलात्कार किया गया और उसके बाद लगातार सुनील जबरन सम्बंध बनाता रहा तो उसने उस समय ही इसकी शिकायत थाने में दर्ज क्यो नही करवाई ? मामला 26 जून को दर्ज करवाया गया था तो इसकी खबर 04 जुलाई को मीडिया में क्यों आई क्या 7,8 दिन मामले को सेटलमेंट करने के लिए छोड़ दिये गए थे ? प्रार्थिया को जान से मारने की धमकी दी जाती थी तो क्या उसके प्रमाण उसके पास है ? जैसा कि बतलाया गया कि उसके पिता भी रायपुर में ही कार्य करते है तो वह छिपते छिपाते रीवा क्यों गई ? उसने अपने पिता को इस बात से अवगत क्यो नही करवाया ?
जैसा कि बतलाया गया कि 2,3 माह से उसकी रिपोर्ट रायपुर के थानों में नही लिखी गई तो किन किन थानों में रिपोर्ट लिखवाने की कोशिशें की गई थी ? यह सीधे तौर पर छत्तीसगढ़ पुलिस की कार्यशैली पर अंगुली उठाई गई है। प्रियंका पटेल ने ट्रैवल्स एजेंसीज एवं स्वयं के रायपुर स्थित आवास का उल्लेख नही किया गया है क्यों ?
प्रार्थिया ने जो लिखित आवेदन दिया है एवं मौखिक बयान दिया है वह जस का तस दर्ज किया गया है।इसलिए इसमें साजिश की आशंका को बल मिल रहा है। छत्तीसगढ़ रायपुर के सम्बन्धित थाने को प्रार्थी आवेदिका के मौखिक बयान लेकर लिखित आरोप को क्रॉस कर आगे की कार्रवाई की जानी चाहिए। आवेदिका ने जिन नम्बरो से फोन किया जाना बतलाया गया है वे नम्बर रायगढ़ के सुनील अग्रवाल के है तो क्या प्रियंका के पास काल रिकार्डिंग है क्योंकि केवल काल का आना-जाना को प्रमाण नही माना जा सकता।
आवेदिका ने सुनील का निवास ऐश्वर्या रेजीडेंसी 70 को रूम बतलाया गया शायद उक्त 70 नम्बर रूम न होकर बंगला हो सकता है। प्रियंका पटेल द्वारा दिये गए आवेदन में लगाये गए आरोप बेबुनियाद हो सकते है। जिसकी धज्जियां न्यायालय में केस डायरी पेश करने से पहले ही पुलिस उड़ा सकती है। बरहाल पुलिस की जांच के बाद ही पूरे मामले का खुलासा हो पायेगा परंतु इस आरोप के बाद रीवा मध्यप्रदेश से लेकर रायपुर, रायगढ़ तक समाजसेवियों,राजनीतिक गलियारों,रशुखदारों में सनसनी फैल गई। जितने मुंह उतनी बाते हो रही है।सुनील की छवि प्रदेश स्तर पर धूमिल हुई है इसमें कोई शक सुबह नही है। जो दाग लग गया है उसे किसी भी कीमत पर मिटाया नही जा सकता। यदि भविष्य में सुनील, प्रियंका के विरुद्ध मानहानि का केस दायर भी कर देगा तो उसकी भरपाई प्रियंका कैसे कर पायेगी यह भी सोचनीय है।