टूटी कलम समाचार…यह कड़वी है मगर सच्च्चाई है कि रावण सरीखा योद्धा ने दुबारा पृथ्वी पर जन्म नही लिया है। रावण को महज इसलिए बुराई का प्रतीक माना गया क्योंकि उसने अपनी बहन सूर्पनखा के हुए अपमान का बदला माता सीता का अपहरण कर चुकाया था। रावण ने छल कपट का सहारा लिए बगैर सीधे भगवान राम से युद्ध किया था एवँ वह यह भी जानता था कि उससे जिसका युद्ध होना था वह और कोई नही अपितु नर के भेष में स्वयं नारायण(भगवान) है। इसलिए रावण ने सम्पूर्ण परिवार को भगवान के हांथो मरवाकर उन्हें राक्षस योनि से मुक्ति दिलवाकर स्वयं ने भी लड़ते हुए मुक्ति पा ली। जब जब राम का नाम लिया जाएगा तब तब रावण का चरित्र भी सामने आएगा ही आएगा। यदि बुराई पर दृष्टिपात करें तो बुराई रामायण के प्रत्येक पात्र में दिख जाएगी। जिसका सबसे बड़ा उदाहरण विभीषण के रूप में जग जाहिर है कि मात्र लंका का राजा बनने के मकसद से वह राम की सेना में शामिल हो गया और लंका के एवँ अपने खानदान के सारे गुप्त रहस्य उगल डाले। दक्षिण भारत मे रहने वाला विभीषण उत्तर भारत के राम का नाम जपता रहता था। वह चाहता था कि प्रभु श्रीराम दक्षिण भारत की लंका में आकर रावण से युद्ध कर लंका का राजपाट उसे सौप दे। टूटी कलम विशेष
चरित्रवान था रावण..लंकापति रावण चरित्र के मामले में बहुत आगे था। महा प्रतापी राजा होने के बावजूद उसकी एकमात्र पत्नी मंदोदरी ही थी। उसके दरबार मे अप्सराओं के नृत्य भी नही होते थे। माता सीता रावण की लंका के अशोक वाटिका में रहने के बावजूद उसने कभी सीता को हाँथ तक नही लगाया। हाँ दूर रहकर शादी करने का निवेदन भी मर्यादित शैली में जरूर करता था। महाबली रावण के निशाने पर धन के देवता कुबेर रहे जो रावण के बड़े भाई एवँ लंका के वास्तविक मालिक थे। जिसे रावण ने कैद कर रखा था। इसी तरह से शनि भगवान को भी अपने महल में उल्टा लटकाकर रखा था। बाली सरीखे शूरवीर को रावण ने अपनी काख में दबाकर रखा था। रावण तीनो लोक के देव महादेव का अनन्य उपासक था। उसने माता सहित विराजमान महादेव कैलाश पर्वत तक को उठा लिया था। इन सबसे यह बोध होता है कि रावण सही मायने में महाबली था परन्तु लंगोट का कच्चा न था। टूटी कलम विशेष
वैज्ञानिक था रावण…रावण एक महान वैज्ञानिक था। उसे दशानन इसलिए कहा जाता है कि लोगो की नजरों में वह दस सिर वाला था। जबकि सच यह है कि रावण अपने गले मे कांच की वह माला पहनता था कि सामने वाले को उसके 10 सिर दिखलाई पड़े। इस माला का अविष्कार भी स्वयं रावण ने कांच को घिस घिस कर किया था । टूटी कलम विशेष
केवल रावण ही बुराई का प्रतीक क्यों ? बुराई के प्रतीक के रूप में केवल रावण का ही नाम क्यो लिया जाता है। जबकि अन्य ब्राम्हण भी समय समय पर भगवानो से डायरेक्ट फाइट किये थे। भृगु ऋषि ने लक्ष्मी पति भगवान विष्णु की छाती पर लात जड़ दिया था। जिसके बाद से लक्ष्मी ब्राम्हणों से नाराज हो गई है। इसी तरह से शिव जी के धनुष तोड़ने पर गुरु परशुराम ने बवाल मचा दिया था तो कर्ण को श्राप देकर परशुराम ने छल का बदला निकाला था। 17 बार क्षत्रियों का नाश करने वाले परशुराम जी को राम के अवतार के रूप में पूजा जाता है। टूटी कलम विशेष
देवो ने काफी छल कपट किये मगर वे देव कहलाये,रावण ने गलती कर दी तो वह असुर कहला गया…अगर वेदों,शास्त्रों का अध्ययन किया जाये तो सभी देवी,देवताओं के द्वारा छल-कपट करने के मामले सामने आते है परन्तु तीनो लोको में रावण को ही विलेन माना जाता है। अर्जुन के सारथी बने कृष्ण के रथ पर यदि दुर्योधन हमला करे तो ठीक है,युधिष्ठिर जुआ में पत्नी हार जाए तो ठीक है,बाली का वध राम छिपकर करे तो ठीक है,निहत्थे कर्ण पर अर्जुन बाण चलाये तो ठीक है,अश्वस्थामा के मरने की झूठी खबर वायरल कर देना ठीक है,भगवान राम का हिरण को सोने का मान लेना ठीक है,लक्ष्मण के द्वारा प्रबल प्रतापी रावण की बहन सूर्पनखा के लव प्रपोज करने पर नाक,कान काट लेना दोष मुक्त है और बुराई का प्रतीक रावण को मान लेना सही है। टूटी कलम विशेष