@टिल्लू शर्मा◾ टूटी कलम डॉट कॉम#… खनिज विभाग ने केराझर के कोल डिपो से निकले तीन ट्रेलरों में जांजगीर-चांपा की पर्ची बरामद की। इस मामले में कई कहानियां सामने आनी बाकी हैं। तीनों वाहन रायगढ़ के ट्रांसपोर्टरों के बताए जा रहे हैं। वाहन की जानकारी लेने पर पता चला कि तीनों अलग-अलग व्यक्तियों के नाम पर हैं।केराझर के कोल डिपो में लंबे समय से गड़बड़ी की शिकायतें आ रही थी। हालांकि असली खेल अभी भी खनिज विभाग की पकड़ में नहीं आया है।हाल में तीन ट्रेलर पकड़े गए तो सवाल उठ रहे हैं। जांजगीर-चांपा की रॉयल्टी पर्ची पर रायगढ़ के कोल डिपो से कोयला लोड करना बड़ी गड़बड़ी है। कोयले के पलटी करने का खेल ही डिपो में हो रहा है।डिपो संचालक बिलासपुर, जांजगीर-चांपा और रायगढ़ के बीच कोयले की जमकर अफरा-तफरी कर रहा है। खनिज विभाग ने डिपो में असली खेल पर चोट नहीं की है। इनपुट टैक्स क्रेडिट के घपले में कोल माफिया के साथ इस डिपो संचालक का नाम भी शामिल है। इस बार तीन गाडिय़ों के पकड़े जाने के बाद रायगढ़ के ट्रांसपोर्टरों का गठजोड़ सामने आया है।सीजी 13 एल 2195, सीजी 13 एल 1038 और सीजी 13 एल 5058 के रजिस्ट्रेशन डिटेल्स देखे गए तो यह वाहन अशोक सिंघल, सुरेश कुमार शर्मा और अश्विनी गर्ग के नाम पर मिले। तीनों के बारे में कुछ खास जानकारी नहीं मिल रही है। कहा जा रहा है कि गाड़ी इनके नाम पर है लेकिन परिवहन का काम कोई ट्रांसपोर्टर ही करवा रहा है।डिपो में कोयले की आवक और उसे बेचने का रिकॉर्ड खंगाला नहीं गया है। बदल पिट पास को लेकर भी बड़ी गड़बड़ी सामने आ सकती है। यह भी संभावना है कि टैक्स चोरी का काम फिर से शुरू हो गया हो।डिपो में चोरी का कोयला जांजगीर-चांपा जिले की टीपी मिलने के बाद इस बात का संदेह है कि कहीं यह कोयला किसी अवैध स्रोत से तो नहीं मिला है। दरअसल उस रूट पर कई कंपनियों का कोयला परिवहन होता है।इसलिए संभव है
कि गाडिय़ों से कोयला पलटी किया जाता हो।इसी तरह कारोबार चलाया जा रहा है। कलेक्टर को आदेश देकर खनिज विभाग से इसकी जांच करवानी चाहिए। क्रमशः
सवाल यह भी उठ रहे है…
कि कोल डिपो से कोयले का हो रहा था परिवहन..खनिज विभाग ने 4 दिन से 3 लोड ट्रेलरों को पकड़कर खरसिया थाने में किया खड़े, पर अब तक खनिज व खरसिया पुलिस द्वारा नहीं की गई हैं कोई कार्यवाही…जबकि ऐसे मामलों में सीधे तौर पर ट्रांसपोर्टर व संबंधित कोल डिपो के मालिक के विरुद्ध आईपीसी की धारा 420 धोखाधड़ी का अपराध पंजीबद्ध किया जाता हैं। सूत्रों से मिली जानकारी की मानें तो इस मामलें में बीतें दिनों से सेटिंग की कोशिशे चल रही हैं यही वजह भी हैं कि न तो जिला खनिज विभाग और न ही ख़रसिया थाना पुलिस ने कोई कार्यवाही की हैं। बहरहाल यहाँ यह भी बताना होगा कि 5-6 साल पूर्व ऐसे ही एक मामलें में रायगढ़ पुलिस ने एक स्थानीय कोल डिपो संचालक के खिलाफ धोखाधड़ी की धारा 420 के साथ साथ आईपीसी की धारा 467, 468, 120 व 34 के तहत शासकीय दस्तावेज़ का सुनियोजित तरीके से दुरुपयोग करने को लेकर अपराध दर्ज किया गया था जिसमे उक्त डिपो संचालक को जेल की हवा तक खानी पड़ी थी
इस मामले में हमारे द्वारा खनिज अधिकारी से वर्जन के लिए फोन के माध्यम से संपर्क किया पर उन्होंने बाहर होना बताया..!