🔱टिल्लू शर्मा ✒️टूटी कलम 🎤 न्यूज 🌍 रायगढ़ छत्तीसगढ़ 🏹.. 01 मई को मजदूर दिवस,श्रमिक दिवस के रूप में मनाये जाने की परंपरा चली आ रही है.मई माह के प्रथम दिवस मजदूरों, श्रमिकों,का सम्मान किया जाता है. साल के 364 दिन यह लोग देश को आगे बढ़ाने निर्माण कार्य करने में अपना खून पसीना बहाया करते हैं. किसी भी राष्ट्र की तरक्की, उन्नति,प्रगति में मजदूर एवं श्रमिक का सबसे बड़ा योगदान रहा करता है.
पूर्व मुख्यमंत्री ने शुरुआत की श्रमिकों के सम्मान के लिए नाम बदली करने का
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के द्वारा श्रमिकों मजदूर कमजोर वर्गों के सम्मान के लिए मजदूर दिवस श्रमिक दिवस का नाम बदलकर बोरे बासी दिवस रख दिया था. बोरे बासी मजदूरों,श्रमिकों, कमजोर वर्गों, गरीबों के लिए छप्पन भोग से कम नहीं होता है. रात को चावल पका कर पानी में डालकर रखा जाता है और सुबह उसमें नमक, मिर्च,धनिया,नींबू, जीरा आदि इच्छा अनुसार चीज डालकर हाथों में चावल को लड्डू बनाकर मजे से खाया जाता है और एक-एक घूंट चावल का पानी पिया जाता है. लहसुन,प्याज, मिर्च, धनिया पत्ती, टमाटर,आलू,बड़ी, की चटनी और चोखा के साथ खाया जाता है. को खाने से दिनभर शरीर में तरावट रहती है. पेट,दिमाग ठंडा रहता है. गर्मियों के दिनों में यह भोजन लू आदि से बचाव करने में कारगर होता है.
भूपेश बघेल के द्वारा शुरू की गई इस परंपरा का निर्वहन किया महापौर ने
रायगढ़ की पूर्व महापौर जानकीबाई काटजू ने पूर्व मुख्यमंत्री के द्वारा शुरू किए गए बोरे बासी दिवस की परंपरा को जीवित रखते हुए रामभाठा स्थित अपने निवास में बोरे बासी दिवस का आयोजन किया गया. जिसमें उंगलियों पर गिने जाने वाले कांग्रेसी शामिल हुए. कांग्रेसियों की तरह से आम जनता ने इसमें कोई ज्यादा रुचि नहीं दिखाई. जबकि आम जनता के लिए टेंट तंबू भी लगाए गए थे.