🔱टिल्लू शर्मा ✒️टूटी कलम 🎤 न्यूज 🌍 रायगढ़ छत्तीसगढ़ 🏹 रणजीत चौहान और सुदीप मंडल की शक्ल सूरत देखकर कोई नहीं जान पता था कि यह दोनों इतने बड़े फांदेबाज होंगे. सुदीप का चुप रहना और रंजीत का महिलाओं सरीखी आवाज,हाव,भाव, लिपस्टिक, फाउंडेशन,क्रीम,पाउडर,बैग जूते को देखकर लोग उसकी चिकनी चुपड़ी बातों में फंस जाया करते थे और अपनी खून पसीने की मेहनत की कमाई को उसको सौंप देते थे या फिर कहीं से ऊंचे ब्याज दर पर उधार पर लाकर उसको दे दिया करते थे. पीड़ितों को जब अपने साथ हुई ठगी का एहसास होता था. तो रंजीत से अपनी रकम वापस मांगी जाती थी. जिस पर रंजीत और सुदीप मंडल असीम छाया एनजीओ के नाम से खोले गए खाते का फर्जी चेक राजी कागज के टुकड़ों की तरह दे दिया करते थे. चेक बाउंस होने पर अनेक बार फिर से चेक दे दिया जाता था. त्रस्त होकर पीड़ित इंसाफ मांगने के लिए थाना जाते थे तो उनका आवेदन लेकर कार्रवाई का आश्वासन देकर उन्हें विदा कर दिया जाता था. दो-तीन साल तक रंजीत और सुदीप मंडल पर कार्रवाई नहीं होने की वजह से पीड़ितों के द्वारा रायपुर जाकर गृह मंत्री विजय शर्मा,पुलिस महानिदेशक, बिलासपुर रेंज पुलिस महानिरीक्षक के सामने अपना दुखड़ा रोया तब कहीं रायगढ़ पुलिस अधीक्षक के आदेश पर रंजीत के खिलाफ 420 की मामूली धारा जोड़कर रिपोर्ट दर्ज कर ली गई. जबकि रणजीत चौहान के द्वारा फर्जी शासकीय दस्तावेजों का है. नौकरी लगाने के नाम पर और ठेका दिलाने के नाम पर फर्जी शासकीय दस्तावेजों का बैंकों के चेकों को रद्दी कागज समझकर बिना किसी डर के उपयोग किया गया. जिस पर पुलिस को गैर जमानती संगीन जुर्म करने वाली अनेक गैर जमानती धाराएं जोड़नी चाहिए.

रणजीत चौहान ने पुटकापुरी निवासी राजकिशोर को अपने झांसे में लेकर 6 करोड़ 15 लाख 77,000 हजार 387 का मिनी PHC एवं आवास बनाने का वर्क आर्डर दिखाते हुए. उसे ठेका देने का प्रस्ताव दिया और बदले में 6 लाख रुपए की प्रतिभूति देने को कहा, इतना बड़ा वर्क आर्डर मिलने की खुशी में राजकिशोर ने रंजीत को 6 ₹ लाख दे दिए. रंजीत ने कार्य चालू करने के लिए IDFC firest बैंक का एक करोड़ 12 लाख रुपए का फर्जी चेक दे दिया गया. रकम आहरण करने के लिए जब राज किशोर ने करने के लिए बैंक में जमा किया तो बैंक के द्वारा पर्याप्त धनराशि नहीं होने का कारण बताते हुए वापस कर दिया. पुलिस के द्वारा जब रंजीत को उक्त विषय में जानकारी दी तो रंजीत ने गोल-गोल जवाब देते हुए कहा कि उसके द्वारा स्टेट बैंक के खाते से 60 ₹ लाख का आरटीजीएस कर दिया जाएगा. समय बचने के बाद भी जब आरटीजीएस नहीं किया गया तो सिविल कांट्रेक्टर राज किशोर साहू को अपने साथ हुई धोखाघड़ी का एहसास हुआ. राजकिशोर ने थाने में रंजीत के खिलाफ लिखित आवेदन दिया गया. कार्रवाई नहीं होने की वजह से राजकिशोर ने रायपुर बिलासपुर तक की दौड़ लगाकर न्याय दिलाने की शिकायत की गई. पूरा मामला रायगढ़ पुलिस अधीक्षक के संज्ञान में आने के बाद दिव्यांग पटेल ने मामले की विवेचना करने नगर पुलिस अधीक्षक आकाश शुक्ला को सौंप दी गई. सीएसपी रायगढ़ के द्वारा रणजीत चौहान की ठगी का शिकार बने और जिनका जिनका आवेदन पूरे जिले के जिन-जिन थानों में लगा हुआ है उन पीड़ितों को फोन करके बुलवाया जा रहा है और रिपोर्ट दर्ज की जा रही है. जिस हिसाब से रंजीत और सुदीप ने ठगी की है. उसको देख कर लगता है कि किसी भी रूप में इनके खिलाफ एक दर्जन से अधिक रिपोर्ट दर्ज हो सकती है.

क्रमशः