🔱टिल्लू शर्मा ✒️टूटी कलम 🎤न्यूज़ रायगढ़ 🌍 छत्तीसगढ़ 🏹 देश की सीमाएं भले ही कड़ी सुरक्षा व्यवस्था से घिरी हों, लेकिन असल खतरा भीतर से पनप रहा है। बांग्लादेश, पाकिस्तान और अरब देशों से आए नागरिक, बड़ी ही आसानी से भारत में रहकर मतदाता पहचान पत्र, राशन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, पासपोर्ट और यहां तक कि स्मार्ट कार्ड और आयुष्मान कार्ड जैसे सरकारी दस्तावेज भी बनवा रहे हैं।
चौंकाने वाली बात यह है कि इसके लिए केवल ₹100 से ₹200 तक की मामूली रिश्वत जन सुविधा केंद्रों और कंप्यूटर सेंटरों पर देकर काम कराया जा रहा है।
इस गंभीर खेल में स्थानीय वार्ड पार्षद, सरपंच और कंप्यूटर सेंटर संचालक की मिलीभगत भी सामने आ रही है। बिना किसी दस्तावेजी सत्यापन के विदेशी नागरिकों को भारतीय पहचान दिलाई जा रही है, जो न केवल देश की सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि देश के संसाधनों पर भी भारी बोझ डाल रहा है।
प्रशासन की नाक के नीचे हो रही इस घुसपैठ को बढ़ावा देने वालों पर कब गिरेगी गाज?
आज जरूरत है कि सरकार तत्काल जांच कराए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे। साथ ही, फर्जी तरीके से बने दस्तावेजों को निरस्त कर संबंधित व्यक्तियों को देश से बाहर निकाला जाए।
देश की सुरक्षा, उसकी पहचान और संसाधनों की रक्षा के लिए अब सख्त कदम उठाना अनिवार्य हो गया है। यदि यही स्थिति रही, तो आने वाले वर्षों में देश को अपने ही घर में पहचान संकट का सामना करना पड़ेगा।
सरकार को चाहिए कि:
सीमावर्ती इलाकों में रह रहे संदिग्ध नागरिकों का पुनः सत्यापन कराए।
सभी जनसुविधा केंद्रों और कंप्यूटर सेंटरों पर सख्त निगरानी हो।
फर्जी दस्तावेज बनवाने वालों और बनाने वालों दोनों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए।
स्थानीय निकायों में जवाबदेही तय कर कठोर दंड प्रावधान लागू किए जाएं।
देश के नागरिकों को भी जागरूक होना होगा और ऐसे मामलों की सूचना प्रशासन तक पहुंचानी होगी। जब तक जनता और सरकार दोनों एकजुट नहीं होंगे, तब तक यह समस्या विकराल होती रहेगी।